आज हम लोग मशीनों पर इस हद तक निर्भर रहते हैं कि बिना मशीनी सहायता
जागना और सोना भी मुश्किल है। आज दुनिया के किसी भी क्षेत्र में मशीन का दखल न हो, ऐसा संभव ही प्रतीत नहीं होता। मनुष्यों की मशीनी निर्भरता इस हद तक बढ़ गई है कि आने वाले समय में मनुष्य स्वयं भी एक पूरी या आधी मशीन बन जाएगा।